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Plus Two Hindi Chapter 3 आदमी का चेहरा (कविता) Question and Answers
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Board |
Kerala Board |
Study Materials |
Question and Answers |
For Year |
2021 |
Class |
12 |
Subject |
Hindi |
Chapters |
Hindi Chapter 3 आदमी का चेहरा (कविता) |
Format |
|
Provider |
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Plus Two Hindi Chapter 3 आदमी का चेहरा (कविता) Question and Answers PDF Download
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प्रश्न 1.
कूली को आदमी के रूप में पहचानने से पहले कुली के साथ कवि की यात्रा कैसी थी?
उत्तरः
कुली को आदमी के रूप में पहचानने से पहले हर समय कवि उसके दस कदम पीछे ही चलता था।
प्रश्न 2.
कुली को आदमी मानने के पहले कवि ने उसको किस रूप में पहचाना था?
उत्तरः
कवि ने उसको नंबर के रूप में ही पहचाना था।
प्रश्न 3.
सामान खुद उठाते वक्त कवि के दिमाग में कौन-सा विवेक पैदा हुआ?
उत्तरः
कुली भी एक आदमी है। कुली जो काम करता है, उसका भी अपना महत्व है।
प्रश्न 4.
कुली कहकर पुकारने पर कवि को क्यों लगता है कि कुली नहीं एक इनसान आकर उसके पास खड़ा हो गया है?
उत्तरः
खुद सामान उठाने पर ही कवि को सामान लादने की वेदना और काम का महत्व का पता चला। इसलिए उसे अब कुली भी एक मनुष्य लगता है।
अनुवर्ती कार्य
प्रश्न 1.
कविता की आस्वादन टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
श्री कुँवर नारायण बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कवि है। सप्तकीय परंपरा के कवियों में और प्रगतिवादी कवियों में उनका अलग पहचान है। कविता के अलावा कहानी, समीक्षा क्षेत्रों में भी उनकी प्रतिभा का चमक है। 2005 में उनको ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।
देश की प्रगति निम्न-वर्ग के श्रमिक लोगों के बिना संभव नहीं है। लेकिन जाने-अनजाने ही हर ज़माने में निम्न-स्तर के लोगों का तिरस्कार ही होता है। वे हमेशा हाशिएकृत हो जाते हैं। समकालीन कविताओं में ऐसे हाशिएकृत लोगों का चित्रण होता है। ‘आदमी का चेहरा’ कुँवर नारायण की ऐसी एक कविता है जिसमें कठिन मेहनत करनेवाला एक कुली के प्रति कवि अपना विचार प्रकट किया हैं। कवि कह रहे हैं – ‘कुली’ शब्द सुनते ही मेरे दिल में कोई चौंक गया। एक आदमी मेरे सामने खडा हो गया। जब वह मेरा सामान उठाकर चलने लगा तो मैं उसके दस कदम पीछे चलना शुरू किया। मुझे लगा, वह मुझसे तुच्छ है और उसके साथ नहीं चलना चाहिए। अनेकों यात्राओं में जो कुली मेरा सामान लाद था उसे मैं पहचान नहीं सकता। उसका चेहरा मुझे याद नहीं है। केवल नंबर से ही मैं उसको पहचानता था।
लेकिन आज जब मुझे अपना सामान खुद लेना पड़ा, तभी मुझे सामान लादने की वेदना और साथ-साथ परिश्रम के महत्व का पता चला। इसलिए अब मुझे कुली, केवल एक कुली ही नहीं बल्कि मनुष्य ही लगता है। मैं ने पहचान लिया कि इसी निम्न वर्ग के लोगों के परिश्रम से ही देश की प्रगति होती है।
देश की प्रगति ऊँच पदवाले लोगों से ही नहीं बल्कि निम्नवर्ग के मज़दूर, कुली सभी से तन-तोड़ मेहनत से ही संभव है। श्राम का अपना महत्व है। अर्थात् हमें श्रमिकों का महत्व जानकर उनका आदर करना चाहिए। हमें यह समझना चाहिए श्रमिक और सर्वहारा भी मनुष्य है। उनके मेहनत से ही देश की प्रगति संभव है।
संगोष्ठी
विषयः किसी काम-धंधे का महत्व केवल उस काम पर निर्भर नहीं होता बल्कि काम करनेवाले की ईमानदारी पर भी निर्भर होता हैं।
उत्तरः
संगोष्ठी आलेख
अंग्रेज़ी में एक कहावत है ‘Work is worship’ – यानि श्रम ही ईश्वर साधना हैं। संसार में कई प्रकार के काम धंधे हैं। चपरासी से लेकर मुख्य सचिव तक, मेहतर से लेकर डॉक्टर तक। समाज में कई लोग काम को देखकर दूसरों को मेलते हैं। किसी काम को निम्न मानते है और कुछ को उच्च।
हमें एक बात समझना चाहिए कि हर काम के अपने विशेषताएँ हैं। अगर मेहतर (sweeper) कुछ दिन काम न किया तो हमारे शरहों का हालत क्या होगा? अगर किसान खेती नहीं करें तो क्या होगा? यानि समाज में जो भी काम-धंधे हो वे सब आवश्यक है। लेकिन एक बात याद में रखना चाहिए कि हम यह काम कैसे कर रहा हैं। दिलचस्पी से या विवशता से। ईमानदारी से या बेइमानी से। तहे-दिल से या रूढकर। डॉक्टर हो या अध्यापक, वकील हो या नेता – वे सब ईमानदारी से, दिलचस्पी से और तहे-दिल से अपना काम करना चाहिए। अध्यापक दिलचस्पी से नहीं पढ़ाते है तो छात्रों का हालत क्या होगा। डॉक्टर ईमानदारी से नहीं करते हैं तो मरीज़ के हालत क्या होगा।
काम-धंधे नहीं ईमानदारी पर ज़्यादा बल देकर हमें काम करना हैं। श्रम की महत्ता पहचानकर दिलचस्पी से काम करना हैं।
Plus Two Hindi आदमी का चेहरा (कविता) Important Questions and Answers
सूचनाः
निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
“कुली!” पुकारते ही
कोई मेरे अंदर चौंका.। एक आदमी
आकर खड़ा हो गया मेरे पास।
सामान सिर पर लादे
मेरे स्वाभिमान से दस कदम आगे
बढ़ने लगा वह
जो कितनी ही यात्राओं में
ढो चुका था मेरा सामान।
प्रश्न 1.
यह किस कविता का अंश है?
(मातृभूमि, आदमी का चेहरा, सपने का भी हक नहीं, कुंमुद फूल बेचने वाली लड़की)
उत्तरः
आदमी का चेहरा।
प्रश्न 2.
कुली पुकारते समय कौन कवि के पास आकर खड़ा हो गया?
उत्तरः
एक आदमी (कुली) आकर खड़ा हो गया कवि के पास ।
प्रश्न 3.
वह सामान सिर पर लादे बढ़ने लगा – कैसे?
उत्तरः
कुली सामान सिर पर लादकर बढ़ने लगा, कवि के स्वाभिमान से दस कदम आगे वह बढ़ने लगा।
प्रश्न 4.
कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
श्री कुँवर नारायण समकालीन कवियों में प्रमुख है। आप ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित है। कविता, कहानी, समीक्षा और सिनेमा के क्षेत्र में वह मशहूर है। आप का एक प्रसिद्ध कविता है – आदमी का चेहरा।
आदमी का चेहरा कुँवर नारायण की ऐसी एक कविता है जिसमें मेहनत करनेवाला एक कुली के प्रति कवि अपना विचार प्रकट किया है। ‘कुली’ शब्द सुनते ही कवि के दिल में कोई चौंक गया। एक आदमी मेरे सामने खड़ा हो गया। जब वह मेरा सामान उठाकर चलने लगा तो मैं उसके दस कदम पीछे चलना शुरू किया। मैं अपने आप को उनसे भी महान समझता था। वह कई यात्राओं में मेरा सामान लादा था।
यहाँ कवि परिश्रम करने वाले साधारण लोगों का किसी भी प्रकार के महत्व न देनेवालों पर व्यंग्य करते हैं। जब कवि एक बार अपना सामान खुद उठाते है तो उसे पता चलता है कि कुली का प्रयत्न कितना महान है। परिश्रम की महत्व हमें पहचानना चाहिए। विशाल अर्थ में देखते है तो देश की प्रगति में साधारण श्रमिक लोगों के महत्वपूर्ण स्थान है। सरल भाषा में सहजीवियों से प्यार और सहानुभूति दिखाने के लिए कवि आह्वाल करते है। यह कविताँश छात्रानुकूल और प्रासंगिक है।
निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों का उत्तर लिखें।
“कुली !” पुकारते ही
कोई मेरे अंदर चौंका। एक आदमी
आकर खड़ा हो गया मेरे पास।
सामान सिर पर लादे
मेरे स्वाभिमान से दस कदम आगे
बढ़ने लगा वह
जो कितनी ही यात्राओं में
ढो चुका था मेरा सामान ।
प्रश्न 1.
इस कविता के रचयिता कौन है?
उत्तरः
कुंवर नारायण
प्रश्न 2.
कवि के पास कौन आकर खड़ा हो गया?
उत्तरः
कुली/ एक आदमी
प्रश्न 3.
कुली किससे आगे बढ़ने लगा?
उत्तरः
कवि के स्वाभिमान से दस कदम् आगे बढ़ने लगा।
प्रश्न 4.
कविता की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
हिन्दी के समकालीन कवियों में श्री कुंवर नाराय सबसे श्रेष्ठ है। समाज की हाशिएकृत लोगों की आवाज़ है समकालीन कविता। कुली ऐसी एक कविता है जिसमें श्रमिकों का महत्व बताया गया है। कवि कह रहे हैं – ‘कुली’ शब्द सुनते ही मेरे दिल में कोई चौंक गया। एक आदमी मेरे सामने आकर मेरा सामान उठाकर चलने लगा और मैं उसके दस कदम पीछे चलने लगा। वह मुझसे तुच्छा है और इसलिए साथ नहीं चलना है। अनेकों यात्राओं में चो मेरा सामान उठाया था, उसका चेहरा तक मुझे याद नहीं।
प्रस्तुत कवितांश द्वारा कवि हमें परिश्रम का महत्व बता रहै हैं। कविता की भाषा सरस और सरल है।
सूचना: निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और 1 से 4 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
“मैंने उसके चेहरे से उसे
कभी नहीं पहचाना,
केवल उस नंबस के जाना
जो उसकी लाल कमीज़ पर टॅका होता।
आज जब अपना सामान खुद उठाया
एक आदमी का चेहरा याद आया।”
प्रश्न 1.
यह किस कविता का अंश है?
(सपने का भी हक नहीं, आदमी का चेहरा, मातृभूमि, कुमुद, फूल बेचने वाली लड़की)
उत्तरः
आदमी का चेहरा
प्रश्न 2.
कमीज़ पर क्या टँका होता था?
उत्तरः
कुली का नंबर/ संख्या
प्रश्न 3.
कवि पहले कुली को कैसे पहचानता था? उसकी आदमी का चेहरा कब याद आया?
उत्तरः
कवि पहले कुली को उसकी लाल कमीज़ पर टॅका नंबर से पहचानता था। अपना सामान खुद उठाने पर कवि को एक आदमी का चेहरा याद आया।
प्रश्न 4.
कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
श्री कुँवर नारायण बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कवि है। कविता के अलावा कहानी, समीक्षा आदि क्षेत्रों में भी उनकी चमक हैं। 2005 को उनको ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। देश की प्रगति निम्नवर्ग के श्रमिक लोगों के बिना संभव नहीं है। लेकिन इन लोगों को समाज स्थान नहीं देते हैं। ऐसे हाशिएकृत लोगों को कविता के माध्यम से दिखाने का प्रयास प्रस्तुत कविता में किया है।
कवि जब भी कुली को देखते हैं केवल लाल कमीज़ पर टँका नंबर से पहचानते हैं। उसे नाम से नहीं कुली ही पुकारते हैं। वह एक मानव है ऐसे उसे देखते नहीं, लेकिन पहली बार जब अपना सामान खुद उठाया तो कवि को लगता है कि कुली भी आदमी है।
यहाँ कुछ ही शब्दों में सरल शैली में निम्नवर्ग के लोगों की ओर ध्यान दिया हैं। हम सब मानव है, जो भी काम करना पड़े। आज भी यह कविता प्रासंगिक है।
“निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर लिखें।
“कुली! पुकारते ही
कोई मेरे अंद चौंका। एक आदमी
आकर खड़ा हो गया मेरे पास।
सामान सिर पर लादे
मेरे स्वाभिमान से दस क़दम आगे
बढ़ने लगा वह
जो कितनी ही यात्राओं में
ढो चुका था मेरा सामान।
प्रश्न 1.
यह किस काव्यधारा की कविता है?
(द्विवेदीयुगीन कविता, समकालीन कविता, छायावादी कविता)
उत्तरः
समकालीन कविता
प्रश्न 2.
कवि के पास कौन आकर खड़ा हो गया?
उत्तरः
एक आदमी आकर खड़ा हो गया।
प्रश्न 3.
कवि किससे आगे बढ़ने लगा?
उत्तरः
कवि अपने स्वाभिमान के ‘दस कदम आगे बढ़ने लगा।
प्रश्न 4.
समकालीन कविताओं की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए कवितांश की आस्वादन-टिप्पणी तैयार करें।
उत्तरः
प्र बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कवि श्री कुंवर नारायण की एक कविता है आदमी का चेहरा। वे ज्ञानपीठ से पुरस्कृत कवि है। प्रस्तुत कविता में श्रम के महत्व के बारे में कवि बता रहे हैं।
कुली शब्द सुनते ही कवि के अंदर कोई चौंक गया। कवि को लगा एक आदमी उसके आगे खड़ा हो गया है। जब वह मेरा सामान लेकर चलने लगा तो मैं उसके दस कदम पीछे चलने लगा। अपने स्वाभिमान के कारण कवि को ऐसा लगा कि कुली के साथ नहीं चलना चाहिए।
अनेकों यात्राओं में जो कुली हमारे सामान उठाते हैं हम उसे कभी नहीं पहचानते हैं। देश की प्रगति के लिए ही हर व्यकति काम करते हैं चाहे वह ऊँचे पदवाले हो या निम्न पदवाले। सभी. के काम का अपना महत्व है। आदमी को यह समझना चाहिए कि देश की प्रगति केवल ऊँचे पदवाले लोगों से ही नहीं, बल्कि निम्नवर्ग के मज़दूर, कुली आदि सभी के तन-तोड़ मेहनत से ही संभव है। हमें यह समझना चाहिए कि श्रमिक और सर्वहारा लोग भी मनुष्य है। और उनके भी मेहनत से देश की प्रगति संभव है।
“निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर लिखें।
आईना हमारी शक्ल सूरत दिखाता है,
एकदम बराबर सब कुछ बताता है,
किसी को असली नकली में
फर्क समझ में नहीं आता,
इसलिए वो आइना है कहलाता।
प्रश्न 1.
आईना क्या दिखाता है?
उत्तरः
गा आईना हमारी शक्ल-सूरत दिखाता है।
प्रश्न 2.
‘असली’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द कविता से ढूँढें
उत्तरः
नकली
प्रश्न 3.
आईना, आईना क्यों कहलाता है?
उत्तरः
मग आईने में देखने से किसी को असली और नकली में फर्क समझ में नहीं आता है। इसलिए आईना, आईना कहलाता है।
प्रश्न 4.
कविता की व्याख्या करते हुए आस्वादन-टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
अ यह हिंदी के एक विख्यात कविता है। समकालीन कविताओं में छोटे-बड़े, निम्न-उच्च सभी स्तर के व्यवतियों और चीज़ों के बारे में कहते हैं। प्रतीकों के माध्यम से सामाजिक सच्चाई को उजागर करने में समकालीन कविता की निजी विशेषता है।
आईना हमारी शक्ल और सूरत दिखाता है। आईने में देखने से सभी को अपना शक्ल बराबर ही दिखाई देता है। असली और नकली में किसी को कोई फर्क नहीं दिखाई देता है। इसलिए ही आईने को आईना कहलाता है। आईने के द्वारा कवि ने यह बताने की कोशिश की है कि दुनिया भी एक आईना जैसा है। यहाँ किसी का कोई फर्क नहीं है। जिस प्रकार आईने में व्यवति का शक्ल उसी प्रकार दिखाई देता है ठीक उसी प्रकार दुनिया में भी हर व्यक्त का शक्ल एक जैसा है। वहाँ उच्च-निम्न या छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं है।
आदमी का चेहरा Profile
कुंवर नारायण का जन्म उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद में 1927 को हुआ। अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक के प्रमुख कवि वर नारायण नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। कविता के अलावा कहानी, समीक्षा और सिनेमा में उन्होंने 7 लेखनी चलाई। ‘चक्रव्यूह’, ‘अपने साम..’, ‘कोई दूसरा नहीं’, ‘इन दिनों’ आदि उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ज्ञानपीठ से 2005 में वे सम्मानित हुए।
आदमी का चेहरा Summary in Malayalam
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