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Plus Two Hindi Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। (आत्मकथा) Question and Answers
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Board |
Kerala Board |
Study Materials |
Question and Answers |
For Year |
2021 |
Class |
12 |
Subject |
Hindi |
Chapters |
Hindi Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। (आत्मकथा) |
Format |
|
Provider |
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Plus Two Hindi Chapter 1 ज़मीन एक स्लेट का नाम है। (आत्मकथा) Question and Answers PDF Download
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प्रश्न 1.
चित्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तरः
ए.पि.जे.अब्दुलकलाम और उसके आत्मकथा का चित्र है।
प्रश्न 2.
अग्नि की उड़ान किस विधा की रचना है?
उत्तर:
आत्मकथा । (auto biography)
मेरी खोज
प्रश्न 1.
उत्तरः
कल राजिस्ट्रि के बाद ज़मीन अपनी कहाँ रह जाएगी, मैंने झुककर मिट्टी को छुआ। मगर ज़मीन की विदाई आज ही हो रही थी।
प्रश्न 2.
मैं ज़मीन नहीं बेचता
……….
मैं बेचता हूँ।
ज़मीन की तुलना हृदय से क्यों की गई है?
उत्तरः
जिसप्रकार एक व्यक्ति के जीवन केलिए हृदय जितना आवश्यक है उसी प्रकार लेखक और पिताजी केलिए ज़मीन उतना ही आवश्यक था। इसलिए ज़मीन की तुलना हृदय से की गई है।
प्रश्न 3.
पाठभाग की कविता केलिए शीर्षक लिखें।
उत्तरः
ज़मीन/हृदय/जीवन
अनुवर्ती कार्य (P.62)
प्रश्न 1.
डायरी लिखें।
(आपको सहायक संकेत के साथ एक डायरी लिखने की आवश्यकता है)
उत्तरः
डायरी
सोमवार
07.07.15
आज मेरी जीवन में एक विशेष दिन है, मेरी शादी की तैयारियाँ हो रही है। पिताजी और भाई शादी के खर्च केलिए ज़मीन बेच रहे हैं। मुझे मालूम है कि वह ज़मीन दोनों के जीवन से कितना संबध रखता हैं। फिर भी वे मेरी शादी केलिए ज़मीन बेच रहा है। कुछ ही दिनों में मेरी शादी हो जाएगी और मैं यह घर छोडकर दूसरा घर जाएगी। मेरे परिवारवालों ने मेरेलिए कितना कष्ट सहन करते हैं। पति के घर जाकर मुझे खुशी मिलेगी या नहीं – पता भी नहीं, सबकुछ देखकर मुझे थोडा सा डर हो रहा है। ईश्वर मेरी रक्षा करें।
प्रश्न 2.
आलेख लिखें।
उत्तरः
“शादी के नाम पर होनेवाले आडंबर और दुर्व्यय” – विषय पर मैं आज एक आलेख प्रस्तुत कर रहा हूँ। आज हमारे समाज में शादी एक ऐसा मौका है जिसमें आडंबर और दुर्व्यय हो, शादी एक पवित्र बंधन है। वहाँ प्रेम को प्रमुखता है। यह दो व्यक्तियों के ही नहीं, दो परिवार – दो समाज – के बीच के रिश्ता है। आज की शादी को देखिए साधारण लोग भी कर्ज़ लेकर शादी के अवसर पर इतना खर्च करते हैं कि करना ही शादी है। खर्च बढाना आज एक आदत बन गया है। अमीर लोगों के नकल करना साधारण लोग भी पसंद करते हैं।
दहेज प्रथा भी आज बढ़ते जा रहा है। दहेज देना और स्वीकार करना एक आदत हो गया। कानूनन अपराध होने पर भी दहेजप्रथा समाज में सर्वत्र देख सकता है। हमें सोचना चाहिए कि क्या हम सही दिशा पर चल रहे हैं। आनावश्यक खर्च और आडंबर हमारे नाश की ओर हमें ले जाएँगे। सोच-विचार के साथ हमें इस विपत्ति के विरुद्ध आवाज़ उड़ाना चाहिए। छात्र जीवन में ही इसके विरुद्ध हमें जानकारी हाजिल करना है।
प्रश्न 3.
टिप्पणी।
उत्तरः
एकांत श्रीवास्तव की आत्मकथा “ज़मीन एक स्लेट का नाम है” में लेखक एक पिता के विवशता को दिखाया है। बेटी की शादी के खर्च केलिए वह अपना ज़मीन बेच रहा है। ज़मीन से उसका संबंध जितना गहरा था बेटी भी उतनी प्यारी थी। ज़मीन उसको अपना हृदय के समान है। फिर भी बेटी और परिवार के लिए वह ज़मीन बेचने केलिए तैयार हो जाता है।
एक अच्छे पिता का चित्रण यहाँ देख सकता है। आज प्रेम और रिश्ते केवल दिखावा हो रहा है। लेकिन एक ऐसा परिवार के चित्रण से आज भी प्रेम की गहराई को यहाँ दिखाया है।
Plus Two Hindi ज़मीन एक स्लेट का नाम है Important Questions and Answers
सूचनाः
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ आत्मकथा का अंश पढ़ें और 5 से 9 तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।
‘हमारे पास समय न था। शादी की तैयारियां शुरू करनी थीं। भविष्य निधि से भी कुछ हज़ार रुपए पिताजी निकाल लाए थे। दीदी बहुत भावुक हो गई थी और बात-बात में रो पड़ती थी। मंडप लगा दिया गया। शादी के कार्ड छप गए। मेहमान आने लगे। हल्दी-तेल चढ़ाना शुरू हो गया। हम सब व्यवथा से संतुष्ट थे पर मन जैसे अबी से खाली-खाली और उदास था। जो उपस्थित था उसकी अनुपस्थिति अभी से दिल में घर कर गई थी।
प्रश्न 1.
“ज़मीन एक स्लेट का नाम है” किसकी रचना है?
(हिमांशु जाशी, मैथिली शरण गुप्त, एकांत श्रीवास्तव, अमृता प्रीतम)
उत्तरः
एकात श्री वास्तव
प्रश्न 2.
पिताजी किससे रुपए निकाल लाए थे।
उत्तरः
पिताजी भविष्य निधि ने कुछ हज़ार रुपए निकाल लाए थे।
प्रश्न 3.
शादी की क्या-क्या तैयारियाँ की गईं?
उत्तरः
रुपए का बंदोबस्त हो गयी थी। मंडप लग दिया गया। शादी के कार्ड छप गए। मेहमान आने लगे, हल्दी-तेल चढ़ाना शुरू हो गए।
प्रश्न 4.
उपर्युक्त खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
लेखक की दीदी की शादी की तैय्यारियाँ हो रहे थे। लेकिन एक चीज़ की अनुपरस्थिति की चिंता सभी के मन को उदास कर रहे थे।
प्रश्न 5.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक दें।
उत्तरः
दीदी की शादी।
आत्मकथा का अंश पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।
उनकी पीड़ा मैं समझ रहा था। मुझे खुद बहुत अच्छा नहीं लग रहा था। खेतों में पहुँचकर वे सूर्यास्त तक उन खेतों में टहलते रहे जो बिकनेवाले थे। वे खामोश थे। कुछ बोल नहीं रहे थे। मगर उनके भीतर का हाहाकार मेरी समझ में आ रहा था। मैंने झुककर मिट्टी को छुआ – चुपचाप – पिताजी के देखे बगैर। क्या जमीन एक स्लेट का नाम है जिसपर हमारे बचपन की कविता लिखी है ? या शायद एक फूल का नाम जिसके रंग में हमारे रक्त की चमक है?
प्रश्न 1.
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ किसकी रचना है?
उत्तरः
एकांत श्रीवास्तव
(मैथिली शरण गुप्त,एकांत श्रीवास्तव,हिमांशु जोशी,जे बाबू)
प्रश्न 2.
पिताजी ने रजिस्ट्री के एक दिन पहले ही खेत में चलने को क्यों कहा?
उत्तरः
रजिस्ट्री के बाद खेत परायों का हो जाएगा। दूसरों की खेत देखना उसे पसंद नहीं है।
प्रश्न 3.
खेत में पहुँचकर पिताजी ने क्या क्या किया?
उत्तरः
सा सुबह से शाम तक वह खेतों में टहलते रहा। किसी से वह कुछ कह नहीं पा रहा था।
प्रश्न 4.
उपर्युक्त खंड का संक्षेपण करें।
उत्तरः
अपना – पराया
लेखक और पिता खेत पहूँचे। पिता को वहाँ खामोश टहलते देखकर लेखक में मन में भी मिट्टी के प्रति लगाव हो गया। उसके मन में यह शंका उत्पन्न हो गया कि असल में क्या है? यह खेत एक स्लेट ही है?
प्रश्न 5.
संक्षेपण के लिए उचित शीर्षक दें।
उत्तरः
मिट्टी और मानव।
सूचनाः
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ आत्मकथा का यह वाक्य पढ़ें।
बेटी के विदा होने में अभी दो-चार दिन वक्त था। मगर ज़मीन की विदाई आज ही हो रही थी।
प्रश्न 1.
उपर्युक्त वाक्य के आधार पर पिताजी के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
“ज़मीन एक स्लेट का नाम है” पाठभाग का पिताजी आज के साधारण जनता का प्रतीक है। बैटी एवं अपने ज़मीन से उनका गहरा संबंध है। उसका बचपन और यौवनकाल ज़मीन से जुड़ा है। परिवार और ज़मीन दोनों के प्रति उनका लगाव आज के पीढ़ी को समझना चाहिए।
सूचना:
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ आत्मकथा का अंश पढ़ें।
कल रजिस्ट्री के बाद वह ज़मीन अपनी कहाँ रह जाएगी। फिर दूसरों की ज़मीन में क्या जाना ।
प्रश्न 1.
इस कथन के आधार पर लेखक के पिताजी के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तरः
लेखक के पिताजी एक साधारण व्यक्ति है जो अपने ज़मीन और बेटी को प्यार करता है। वह एक अच्छा पिता है जो बेटी केलिए अपना ज़मीन बेचते हैं। वह एक अच्छा किसान है जो धरती को केवल पैसा नहीं मानता है। उसे सहानुभूति हैं। वह प्रकृति को मानते है। अपने यादों को मन में जमाते है। एक सकारात्मक पात्र है पिताजी।
प्रश्न 2.
“सामान लाना इसलिए ज़रूरी था कि अगले वर्ष पुनः साक्षात्कार में मैं चुन ही लिया जाऊँ – इसकी गारंटी नहीं थी।” ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ पाठ का यह वाक्य वास्तव में एक बेकार युवक की बेचैनी को व्यक्त करता है। नौजवानों की बेकारी के कारण और उसे दूर करने के मार्गों पर अपना मंत व्यक्त करते हुए निबंध लिखें।
उत्तरः
बेकारी – एक समस्या
भारत एक प्रगतिशील राष्ट्र है। भारत की प्रगति में हरेक भारतीय का अलग पहचान और परिश्रम है। भारत के नौजवान अपनी मातृभूमि की प्रगति के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। फिर भी नौजवानों के बीच बेकारी की समस्या खूब मात्रा में बढ़ रही हैं। इसके बारे में हम। यहाँ चर्चा करेंगे।
बढ़ती आबादीः बेकारी का मूल कारण भारत की बढ़ती आबादी ही है। आबादी के बढ़ने के कारण पढ़े-लिखे नौजवानों को भी काम-धंधे का अवसर नष्ट हो रहे हैं। बढ़ती आबादी के अनुकूल यहाँ नौकरी का अवसर नहीं है।
सही मार्गदर्शन अभावः जितना ही यहाँ काम-धंधे का अवसर है इनसे आज के नौजवान अपरिचित भी है। स्कूली शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न नौकरी के बारे में भी लोगों को परिचित करवाना है। ऐसा करने से एक हद तक बेकारी की समस्य दूर कर सकते हैं।
मशीनीकरण का प्रचारः आज हर कहीं मशीनीकरण हो रहा है। दैनिक जीवन में छोटे-छोटे क्षेत्रों से लेकर बड़े बड़े दफ्तरों तक हर कहीं आदमी को छोड़कर मशीन काम कर रहा है। बेकारी बढ़ाने में यह भी एक कारण बन गया है।
सभी कामों के महत्व की पहचानः आज पढ़े-लिखे लोग केवल दफ्तरी कामकाज ही पसंद करते हैं। छोटे छोटे काम करने के लिए कोई भी तैयार नहीं हैं। इसलिए नौजवानों को यह भी समझाना चाहिए कि सभी कामकाज का अपना महत्व है।
कुटीर उद्योगों का प्रचारः कुटीर उद्योगों के प्रचार के साथ | साथ उसके महत्व से भी सभी को परिचित करवाना है।
तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षणः तकनीकी शिक्षा का भी प्रचार सभी जगहों में होना चाहिए। इसके साथ साथ तकनीकी प्रशिक्षण भी होना चाहिए। आज सब कहीं तकनीकी धंधों का प्रचार हो रहा है। लेकिन बहुत सारे नौजवान इससे अनभिज्ञ है। इसलिए तकनीकी शिक्षा का उचित प्रचार एवं प्रशिक्षण से भी बेकारी दूर कर सकते हैं।
रुचि के अनुरूप शिक्षाः आज ज्ञान-विज्ञान का क्षेत्र बहुत बढ़ गया है। छोटी आयु में ही प्रत्येक व्यक्ति को अपनी रुचि के अनुसार शिक्षा मिलेगा तो भी बेकारी को एक हद तक रोक सकते हैं। मुख्य कारण है बढ़ती आबादी। भारत क बढ़ती आबादी के अनुकूल यहाँ कामकाज का अवसर नहीं हैं। इसलिए ज़रूर ही आबादी का बढ़ाव रोकना चाहिए।
बेकारी के कुछ कारण और उसे दूर कराने के कुछ उपायों के बारे में यहाँ चर्चा हुई है। अगर हम सब मिलकर कोशिश करेंगे तो ज़रूर ही बेकारी की समस्या को एक हद तक दूर कर सकते हैं।
ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ पाठ का यह अंश पढ़ें।
“शादी की तैयारियों शुरू करनी थीं। भविष्य निधि से भी कुछ रुपए पिताजी निकाल लाए थे।”
प्रश्न 1.
भविष्यनिधि से पिताजी को क्यों रुपया लेना पड़ा?
उत्तरः
शादी की तैयारियां शुरू करने के लिए भविष्य निधि से कुछ रुपए निकाल लिए।
प्रश्न 2.
शादी के आड़बर के लिए किया जानेवाला खर्च आज एक सामाजिक दुर्घटना बन गई है। इस विषय पर संगोष्ठी में प्रस्तुत करने केलिए एक आलेख तैयार करें।
उत्तरः
शादी और अडंबर – एक सामाजिक समस्या
शादी एक पवित्र बंधन है। हर व्यक्ति के जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण और सुप्रधान मोड़ है शादी। हर माँ-बाप का सपना है अपने बेटे या बेटी की शादी। लेकिन आज शादी के नाम पर जो खर्चा हो रहा हैं वह समाज में अपनी बड़प्पन दिखाने का अवसर मानते हैं कुछ लोग। यह अत्यंत बुरी बात है। ज़रूर इस दुर्व्यय पर रोक डालना चाहिए। आगे हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
दुर्व्यय की आदतः समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने आपको बड़े मानते हैं। उन लोगों का यह गलत विचार है कि शादी अत्यंत धूम-धाम से होनी चाहिए। शादी के नाम पर जितना खर्च करेगा उतना ही इनका इज्ज़त बढ़ेगा। लेकिन यह गलत है।
दिखावे के नाम आडंबरः कुछ लोग अपने बड़प्पन दिखाने केलिए आडंबर के नाम पर दुर्व्यय करते हैं। इन लोगों का नकल करके दिखावा करनेवाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। यह अत्यंत बुरी बात है।
बढ़ती दहेज प्रथाः समाज में ऐसे भी लोग हैं जो अपनी ईमान दहेज और दिखावे के आधार पर नापते हैं। ऐसे लोग दहेज के नाम पर कुछ भी देने को तैयार होते हैं। समाज में इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है।
रिश्ते का आधार प्रेमः रिश्ते का आधार दहेज या बाह्य आडंबर न होकर प्रेम होना चाहिए। प्रेम की पवित्रता सभी को पहचानना है। लोगों को यह समझना चाहिए कि सच्चे रिश्ते प्रेम के आधार पर ही पनपते हैं, न दहेज या दिखावे के आधार पर।
आज के समाज में शादी के नाम पर होनेवाला दुर्व्यय बहुत ही बढ़ गया है। अपने बड़प्पन दिखाने के लिए लोग कर्ज लेकर भी शादी के लिए खर्च करते हैं। फिर वे लोग यह कर्ज चुकाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी बरबाद कर डालते हैं। इन्हें जीवन में किसी भी प्रकार के सुकून या आराम नहीं मिलते हैं। ज़रूर ही शादी के नाम पर होनेवाला दुर्व्यय रोकना ही चाहिए।
प्रश्न 3.
‘ज़मीन एक स्लेट का नाम है’ पाठ के पिता दोनों बिदाइयों से दुःखी है। ज़मीन की रजिस्ट्री के दिन वे अपनी डायरी लिखते हैं। वह डायरी कल्पना करके लिखें।
उत्तरः
लेकिन क्या करूँ, दोनों मुझसे
बिदा लेने की तैयारी में है…..
बेटी ससुराल जाएगी और मेरा ज़मीन पराया हो जाएगा!
जिसके लिए मैं ने एक-एक पैसा इकट्ठा कर रखा था, सब व्यर्थ हो गया।
जिंदगी ………
ज़िंदगी, कुछ ऐसा ही है।
प्रश्न 4.
“मैं ज़मीन नहीं बेचता बेचता हूँ हृदय”
बेटी की शादी के खर्च के लिए अपने पसीने और खून से भीगी ज़मीन बेचने केलिए पिता विवश हो जाते हैं। वे यह विवशता अपने मित्र से बाँट रहे हैं। दोनों के बीच का वार्तालाप तैयार करें।
उत्तरः
मित्र : नमस्ते, श्रीवास्तवजी।
पिता : नमस्ते, नमस्ते। आइए बैठिए।
मित्र : सुना है मित्र, आपके बेटी की शादी बड़ी धूम-धाम से करवा रहे हैं। बधाई हो।
पिता : मित्र, आप यह क्या कह रहे हैं? अरे, शादी तो करवानी ही है। घर के सभी लोगों ने मिलकर तय किया है, बेटी की शादी बड़ी धूम धाम से करवाने की।
मित्र : अच्छा | यह तो बिलकुल सही है। अब पूरे गाँव में आप ही के बारे में चर्चा है।
पिता : लेकिन मुझे तो यह चर्चा पसंद नहीं है। शादी के नाम पर जो दुर्व्यय हो रहा हैं, ज़रूर ही वह रोकना है।
मित्र : ऐसा क्यों कह रहे हो मित्र?
पिता : सुनो, जी । आप यहाँ जो आड़बर देख रहे हैं, सब के सब दिखावा है। मेरे पास जो कुछ था, सब कुछ मैं ने बेच डाला है, यह दिखावे के लिए।
मित्र : श्रीवास्तवजी, छोड़िए ये सब । आप इतना उदास क्यों हो रहे हैं?
पिता : मित्र, पता है आपको, आज यहाँ दो बिदाइयाँ हो रही हैं। एक है ज़मीन की और दूसरी, बेटी की। दोनों मेरेलिए अत्यंत प्रिय हैं। लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना भी पड़ता है न?
मित्र : आप ने क्या खो दिया है?
पिता : अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करवाने के लिए मैं ने अपना पूरा ज़मीन बेच डाला है। अब मेरे पास कुछ भी नहीं रहा। बेटी भी नहीं और ज़मीन भी नहीं।
मित्र : खैर, छोडिए जी। यह तो आनेवाली पीढ़ी के लिए एक सबक भी है।
प्रश्न 5.
दीदी की शादी केलिए पिता को ज़मीन बेचना पड़ता है। लेखक इससे दुखी है और वह अपनी शादी बिना दहेज और कम खर्च में करना चाहता है। अपना यह विचार व्यक्त करते हुए वह अपने मित्र को एक पत्र लिखता है। वह पत्र तैयार करें।
उत्तरः
बिलासपुर,
30.05.1972
प्रिय मित्र रामगोपाल,
भगवान की कृपा से हम यहाँ खुश हैं और मेरा विश्वास है कि उनकी कृपादृष्टि आप लोगों पर भी खूब छा गई हैं। आपको एक पत्र लिखने के बारे में कई दिनों से मैं सोच रहा हूँ। एक खास बात लिखने के लिए ही मैं यह पत्र लिख रहा हूँ।
पिछले महीने बहिन सोनम की शादी हुई थी। बड़ी धूमधाम से हमने शादी करवाई। सब लोग खुश थे। मगर मेरे पिताजी की आँसू अब भी आँखों के आगे छा गयी है। दहेज और शादी की खर्च के लिए वे अपनी सारी ज़मीन बेचने को विवश हो गए। शादी के नाम पर होनेवाला दुर्व्यय और दहेज को ज़रूर ही रोकना है। इसलिए मित्र, मैं ने एक ऐसा फैसला किया है कि मैं अपनी शादी बिना दहेज कर लूँगा। रिश्ते का आधार धन नहीं पवित्र प्रेम होना चाहिए। हमारे सभी मित्रों से भी मेरा यह अनुरोध है कि हम सबको मिलकर यह सामाजिक कलंक दूर करना है।
विस्तार से मैं फोन पर बात करूँगा। अब मेरे दफ्तर – जाने का वक्त हो गया है। माँ जी से मेरा प्यार और प्रणाम कहना। इतना लिखकर मैं यह खत यहाँ समाप्त करता हूँ।
धन्यवाद,
तुम्हारा मित्र,
एकांत श्रीवास्तव
प्रश्न 6.
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन हो रहा है। विषय है ‘बदलती जीवन-शैली स्वास्थ्य के लिए खतरा।’ संगोष्ठी में प्रस्तुत करने के लिए एक आलेख तैयार करें।
उत्तरः
‘बदलती जीवन-शैली स्वास्थ्य के लिए खतरा मानव जीवन में स्वास्थ्य का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन रहता है। लेकिन आधुनिक युग में मनुष्य ऐसा बदल गया है कि उन्हें अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचने का समय ही नहीं मिलत रहा है।
भोजन शैली में बदलावः मनुष्य के भोजन-शैली में जो बदलाव आ गया है यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है। मनुष्य को अपने परिस्थिति के अनुकूल भोजन चुनना चाहिएं।
फास्ट फुड़ के प्रति मोहः फास्ट फुड़ के प्रति जो मोह है ज़रूर ही उसे छोड़ना चाहिए। कँन्सर जैसे बीमारियाँ फास्ट फुड़ के बढ़ती प्रभाव का बुरा असर है।
शाकाहारी भोजन का गुणः शाकाहारी भोजन का महत्व, आधुनिक पीढ़ी को समझाना बहुत ही ज़रूरी एवं उपयोगी है। असल में मनुष्य शाकाहारी है। जब तक हम शाकाहारी भोजन को पूर्ण रूप से न अपनाएँगे तब तक हमारा तन और मन अस्वस्थ ही रहेगा।
प्रकृति की ओर लंगावः मनुष्य को अपनी प्रकृति एवं परंपरा को पहचानना है। अपनी प्रकृति के अनुकूल उन्हें जीवन बिताना है। प्रकृति के प्रति उन्हें लगाव होनी चाहिए।
कई प्रकार की बीमारियाः आज के बदलते युग में मनुष्य कई प्रकार की बीमारियों से पीड़ित हैं। इसका मूल कारण उनका जीवन-शैली और खाने की तरीके में आए बदलाव है। अपने शरीर के अनुकूल हम जीवन बिताएँगे तो ज़रूर ही हम बीमारियों से दूर रह सकते हैं।
जागरण कार्यक्रमः बिगडते स्वास्थ्य और जीवन शैली के बारे में लोगों को जागृत करना है। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को कर्मनिरत रहना चाहिए। ऐसे कार्यक्रमों में विद्यार्थियों का भी बड़ा योगदान है। प्रत्येक विद्यार्थी को कम से कम अपने परिवारवालों को ही जागृत करना है और समझाना है कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है।
ज़मीन एक स्लेट का नाम है Profile
एकांत श्रीवास्तव हिंदी के जाने माने लेखक हैं। छत्तीसगढ़ के छुटा गाँव में सन् 1964 को उनका जन्म हुआ था। उनके तीन कविता-संग्रह निकले हैं। ‘मेरे दिन मेरे वर्ष’ उनकी आत्मरचना है। वे केदार सम्मान से सम्मानित हैं।
ज़मीन एक स्लेट का नाम है Summary in Malayalam
एक नज़र
ज़मीन एक स्लेट का नाम है Glossary
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